Monday, December 10, 2007

मैं अपना दुःख नहीं बेचता

मैं अपना दुख नहीं बेचता,फिर भी लोग भुना लेते हैं। लेखों में, कविताओं में , मंचों और सभाओं में, साहित्यिक गलियारों में,मेरा दर्द भुना लेते हैं। अपना नाम कमा लेते हैं।दर्द मिला है जिनसे मुझको, ऐसी भला पडी क्या उनको,ये दुख हरना ही होता तो पहले ही देते क्यों मुझको?बेशक अश्रु बहा लेते हैं .मेरा दर्द भुना लेते हैं ।।

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